Saturday, December 25, 2010

मनुष्य-स्वभाव...............



मनुष्य-स्वभाव 

अपने विकसित रूप में लाज़िमी तौर पर मानवतापूर्ण है; 

प्रेम के बिना वह मानवताहीन है; 


समझदारी बिना  मानवताहीन है 

और अनुशासन बिना भी मानवताहीन है . 


-रस्किन

प्रस्तुति  :  गौतम डी जैन

 

Tuesday, December 21, 2010

फिजूलखर्ची से सारे ब्रह्माण्ड की सम्पदा भी नाकाफ़ी हो सकती है





सांप हवा खा कर जीवित रहते हैं मगर वे दुर्बल नहीं होते, 

जंगली हाथी सूखी घास खा कर जीते हैं मगर वे बलवान 

होते हैं, साधू लोग कन्द-मूल फल खा कर  अपना समय 

गुज़ारते हैं और प्रसन्न रहते  हैं . अर्थात सन्तोष ही इन्सान 

का बेहतरीन ख़ज़ाना है 


- अज्ञात महापुरूष 




 जो आदमी अपनी आमदनी से ज़्यादा खर्च करे और उधार 

का रूपया न चुकाए  उसे उसी वक्त जेलखाने भेज देना चाहिए, 

चाहे वह कोई भी हो .  


- थैकरे




बुद्धिमानी के साथ खर्च करता हुआ आदमी  थोड़े  खर्च से भी 

अपनी गुजर  कर सकता है, मगर  फिजूलखर्ची  से सारे 

ब्रह्माण्ड की सम्पदा भी नाकाफ़ी  हो सकती है .

-जर्मन कहावत



भरने वाली नली अगर तंग है तो कोई बात नहीं, बशर्ते कि 

खाली करने वाली नाली ज़्यादा चौड़ी न हो .

- संत तिरुवल्लुवर

प्रस्तुति  :  गौतम डी जैन



नारी आनन्द महोत्सव की कुछ झलकियाँ




चेन्नई  में आयोजित  विराट समारोह "happy woman - happy world "

की झांकी दर्शाती  राजस्थान पत्रिका  की कुछ कतरनें :









Monday, December 20, 2010

'नारी आनन्द महोत्सव' के साथ चेन्नई में आरम्भ हुआ 18 दिसम्बर "नारी ख़ुशहाल दिवस" -"happy woman's day"

18 दिसम्बर  2010   का गौरवशाली दिन  

दुनिया भर में इसलिए  याद किया जायेगा क्योंकि इस दिन से 

"खुशहाल नारी दिवस"  का श्रीगणेश हुआ है .




जी  हाँ ! हज़ारों  हज़ारों  सन्नारियों की उपस्थिति और  जीतो प्रेरक 

 गणीवर्य  परम पूज्य श्री नयपद्मसागर जी  महाराज साहेब एवं  परम

पूज्य साध्वीजी मयनाश्री  के पावन सान्निध्य में  चेन्नई का  जवाहरलाल 

नेहरू स्टेडियम शनिवार, 18 दिसम्बर 2010 की शाम  " happy woman - 

happy world " के गगनभेदी उदघोष से  गूंज उठा  और "नारी  आनन्द  

महोत्सव" के रूप में एक ऐसे विराट  आयोजन  का श्रीगणेश हुआ  जिसमे 

दुनिया के इतिहास में पहली बार 'ख़ुशहाल नारी दिवस'  की स्थापना हुई . 


चेन्नई के  कविहृदय समाज सेवक  और प्रतिष्ठित उद्योगपति श्री गौतम 

डी. जैन  द्वारा  अपने पिताश्री की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर  इतना 

बड़ा  आयोजन कर के  समूची दुनिया को  ये सन्देश दिया है कि  अब 

नारी का तिरस्कार नहीं होगा, न ही शोषण  बर्दाश्त होगा . अपितु नारी 

का सम्मान, स्वाभिमान  और गोरव बनाये रखने के लिए उसे और 

संरक्षण तथा  सम्बल दे कर  आत्म निर्भर बनाया जायेगा .





विस्तृत समाचार  अगली पोस्ट में पढ़िए