Tuesday, December 21, 2010

फिजूलखर्ची से सारे ब्रह्माण्ड की सम्पदा भी नाकाफ़ी हो सकती है





सांप हवा खा कर जीवित रहते हैं मगर वे दुर्बल नहीं होते, 

जंगली हाथी सूखी घास खा कर जीते हैं मगर वे बलवान 

होते हैं, साधू लोग कन्द-मूल फल खा कर  अपना समय 

गुज़ारते हैं और प्रसन्न रहते  हैं . अर्थात सन्तोष ही इन्सान 

का बेहतरीन ख़ज़ाना है 


- अज्ञात महापुरूष 




 जो आदमी अपनी आमदनी से ज़्यादा खर्च करे और उधार 

का रूपया न चुकाए  उसे उसी वक्त जेलखाने भेज देना चाहिए, 

चाहे वह कोई भी हो .  


- थैकरे




बुद्धिमानी के साथ खर्च करता हुआ आदमी  थोड़े  खर्च से भी 

अपनी गुजर  कर सकता है, मगर  फिजूलखर्ची  से सारे 

ब्रह्माण्ड की सम्पदा भी नाकाफ़ी  हो सकती है .

-जर्मन कहावत



भरने वाली नली अगर तंग है तो कोई बात नहीं, बशर्ते कि 

खाली करने वाली नाली ज़्यादा चौड़ी न हो .

- संत तिरुवल्लुवर

प्रस्तुति  :  गौतम डी जैन



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